Hindi Quote in Poem by Akash Singh

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जब दुनिया से हारा बैठा,
हर चेहरा मुझे अजनबी लगा,
तब चुपचाप वो पास आई,
माँ की ममता ही सबसे सच्ची लगी।

ना पूछा क्यों उदास हूँ मैं,
ना टोका क्यों रोया करता हूँ,
बस एक हल्का सा हाथ रखा,
और कह दिया – "मैं हूं ना… तू क्यों डरता है?"

उसके आँचल में छांव मिली,
जैसे धूप से राहत आई हो,
उसकी गोद में सिर रखकर,
जैसे खुद से ही मुलाक़ात पाई हो।

माँ — वो नाम नहीं एहसास है,
जो हर दर्द पे मरहम बन जाए,
जिसका प्यार बिना शर्तों के,
हर वक्त हमें जीना सिखाए।

भूखा था तो रोटी बन गई,
बीमार पड़ा तो दवा सी लगी,
टूटा तो आंसू पोंछ लिए,
बिना कहे ही सब समझ गई।

आज बड़ा हो गया हूँ मैं,
दुनिया से लड़ना जानता हूँ,
पर जब थकता हूँ... रोता हूँ,
तो आज भी "माँ" ही याद आता हूँ

Hindi Poem by Akash Singh : 111988561
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