तुम्हारे बिना ये शाम अधूरी सी लगती है,
हवाओं की सरगोशियों में भी कुछ कमी सी लगती है.....
चाँद भी पूछ बैठा है आज,
क्यों मेरी आँखों में नमी सी लगती है?
क्या उसकी मुस्कान तुम्हे ख़्वाब सी लगती है?
कैसे बताऊं ए चांद तुम्हे
उनकी हँसी की खनक,
जैसे मेरे दिल की धड़कनों में गुम रहती है,
और उनकी यादें…
हर ख़ामोशी को मोहब्बत का नाम देती हैं....
पता नहीं इश्क़ को किसने लफ़्ज़ों में बाँध लिया,
मगर मेरा इश्क़ तो अब भी
उनकी हर मुस्कुराहट में सांस लेती है
और हर धड़कन उन्हें ही तो आवाज़ देती है....
- Manshi K