हम भी तो किसी के प्यारे हो सकते थे
इतने बुरे भी तो नहीं
जख्म किसी को दिख तो सकते थे
हम इतने खुश तो नहीं
सोचते हैं कभी कोई पूछ ले हुआ क्या
सच कुछ कहने को नहीं
ख्वाहिशें तो अब भी है उड़ जाने की
हम किसी बंधन बंधे तो नहीं
यू तो कई उम्मीदें हैं जी उठने की
ताज्जुब हैं हम मरे तो नहीं