ओ मेरे दिल के चैन..
कभी बिन बताए आ जाना
बाहें मेरी खुली हुईं हैं
चुपके से तू समा जाना
ओ मेरे दिल के चैन
कभी आ जाना चुपके से
मैं समेट लूंगी तुझे
तू फिकर न कर
हु मैं भी बेताब
तू ज़िक्र ना कर
मेरे बस में होता तो कह ही देती
तू बार बार यूं सवाल ना कर
ओ मेरे दिल के चैन
कभी आ जाना चुपके से
ये याद मरहम है
या तलवार की नोंक है
ये जख्म प्यार है
या अधूरा शौक है
साथ है तू हर हिस्से में मेरे
पर फिर भी तेरी बहुत कमी है
ओ मेरे दिल के चैन
कभी आ जाना चुपके से
कहने को सबर नहीं
एक पल का भी
मुझे हिसाब नहीं
एक दिन का भी
वो कुछ है जो कहना बाकी है
वो कुछ है जो मिलना बाकी है
ओ मेरे लिए के चैन
कभी आ जाना चुपके से
एक सवाल है जो
बार बार उठता है
एक वक्त के लिए
हर वक्त इंतेज़ार रहता है
कभी इस ओर करवट कभी उस ओर होती है
मिले आराम कैसे रात से सुबह इसी में होती है
ओ मेरे दिल के चैन
कभी आ जाना चुपके से
दिलचस्पी नहीं है मेरी
तेरे सिवा कही भी
तू था तो जिंदा थी
हर लगन मेरी
अब हर रोज नया जुगाड करना पड़ता है
ये मजबूर दिल हैं इसे काम पर लगाए रखना पड़ता है
ओ मेरे दिल के चैन
कभी आ जाना चुपके से