बुक नेम “मानव धर्म” 👇
https://www.matrubharti.com/book/19943935/manav-dharm-3
मनुष्य जीवन का ध्येय क्या है?
इंसान पैदा होता है तब से ही संसार चक्र में फँसकर लोगो के कहे अनुसार करता है। स्कूल-कॉलेज की पढाई करता है, नौकरी या धंधा करता है, शादी करके बच्चे पैदा करता है, और बूढ़े होने पर मर जाता है। तो क्या यही हमारे जीवन का मूल उद्शेय है? परम पूज्य दादा भगवान, मनुष्य जन्म को 4 गतियों का जंक्शन बताते है जहाँ से, देवगति, जानवर गति या नर्कगति में जाने का रास्ता खुला होता है। जिस प्रकार के बीज डाले हो और जिन कारणों का सेवन किया हो, उस गति में आगे जाना पड़ता है। तो, इन फेरो से आखिर हमें मुक्ति कब मिलेगी? दादाजी बताते है कि, मानवता या ‘मानवधर्म’ की सबसे बड़ी परिभाषा ही यह है कि, अगर कोई तुम्हें दुःख दे और तुम्हें अच्छा ना लगे, तो दूसरों के साथ भी ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए। अगले जन्म में अगर नर्कगति या जानवर गति में नहीं जाना हो तो, मानवधर्म का हमेशा ही पालन करना चाहिए।
इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने, यह किताब पढ़े और अपना मनुष्यजीवन सार्थक बनाइये।
Disha jain प्रोफ़ाइल लिंक— https://www.matrubharti.com/dishajain221416