#gulzar #bandini #1963
मोरा गोरा अंग लई ले
मोहे शाम रंग दई दे
छुप जाऊँगी रात ही में
मोहे पी का संग दई दे
एक लाज रोके पैयाँ
एक मोह खींचे बैयाँ
जाऊँ किधर न जानूँ
हम का कोई बताई दे
बदरी हटा के चंदा
चुपके से झाँके चंदा
तोहे राहू लागे बैरी
मुस्काये जी जलाई के
कुछ खो दिया है पाई के
कुछ पा लिया गवाई के
कहाँ ले चला है मनवा
मोहे बाँवरी बनाई के
- गुलज़ार