अपना नजरिया रखती हैं नज़र..
इशारों में सब समझा देती हैं नज़र
शर्म में झुक जाती हैं नजरे,
गुस्से में दिखाई जाती हैं आंखे।
नज़र से नजर मिले तो हो जाती हैं मोहब्बत,
बंद आंखों से की जाती हैं इबादत।
नज़रे चुरा कर नज़रे करतीं हैं अनदेखा,
नजरअंदाज करके नजरे देती हैं धोखा।