🧡 भाग 1: "एक डील, दो दिल"
परिचय:
आरव मल्होत्रा – बिजनेस किंग, पर दिल से तन्हा।
जानवी शर्मा – मजबूरी में झुकी, लेकिन हिम्मती।
दोनों मिलते हैं एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के लिए।
एक शादी, जिसमें न प्यार है न उम्मीद।
लेकिन... शर्तें लिखी गईं कागज़ पर, दिल पर नहीं।
➡️ अंत में:
आरव के दादी की आँखों में खुशी, पर आरव के दिल में खालीपन।
जानवी अपने दर्द को छुपाकर मुस्कुराती है।
और तभी... आरव कहता है —
"नाम की बीवी हो, मगर आँखों में झूठ मत दिखाना..."
💫 "सपनों के उस पार" – एक अदभूत प्रेम कहानी
स्थान: वाराणसी की संकरी गलियां
पात्र:
विवेक: एक शांत, पुरानी किताबों का शौकीन युवक
अन्वी: तेज-तर्रार, कैमरे की दीवानी, ट्रैवल व्लॉगर
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🔮 पहली मुलाकात – किताबों की दुकान में!
वाराणसी की एक पुरानी किताबों की दुकान में, विवेक अपनी पसंदीदा किताब "प्रेमचंद की कहानियाँ" पलट रहा था। तभी बाहर बारिश शुरू हुई, और अन्वी अंदर भागती आई — बिल्कुल भीग चुकी, लेकिन आंखों में चमक थी।
विवेक ने एक पुराना छाता आगे बढ़ाया।
अन्वी मुस्कराई – "छाता दो या कहानी?"
विवेक बोला – "दोनों अगर चाहो तो किस्तों में मिल जाएँगी।"
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📸 धीरे-धीरे शुरू हुआ वो अनोखा रिश्ता...
अन्वी उसे शहर की ताज़गी दिखाती, विवेक उसे पुराने घाटों की कहानी सुनाता।
अन्वी ज़िंदगी को तेज़ रफ्तार में जीती थी, विवेक वक़्त के साथ बहना जानता था।
फर्क़ बहुत थे, लेकिन दिलों की धड़कनें धीरे-धीरे एक सी हो गईं।
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💔 लेकिन कहानी में आया ट्विस्ट...
अन्वी को पेरिस से ड्रीम प्रोजेक्ट का ऑफर आया।
विवेक कभी वाराणसी से बाहर नहीं गया था।
दोनों की दुनिया अलग थी — एक तेज़ उड़ान, एक ठहरी हुई आत्मा।
वो दोनों दशाश्वमेध घाट पर मिले।
अन्वी बोली: "चलोगे मेरे साथ?"
विवेक मुस्कराया: "मैं नहीं चल सकता, पर तुम उड़ो। और अगर हमारी कहानी सच्ची है — तुम लौटोगी।"
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🕰️ 2 साल बाद...
घाट पर फिर वही बारिश, वही छाता...
विवेक उसी दुकान में बैठा था, किताब पढ़ते हुए।
पीछे से आवाज आई –
"छाता अब भी साथ है?"
विवेक ने देखा – अन्वी सामने खड़ी थी, कैमरा हाथ में, लेकिन आँखें सिर्फ उसे देख रही थीं।