तन मन निढाल
मित्र! तुम कैसे वाचाल?
कैसे अपनी सफ़लता का
कर प्रदर्शन
प्रतीक्षा तालियों की! 
एक पालतू पशु-पक्षी भी 
कर जाता है मन खोखला 
न जाने कितने परिवारों का दीपक बुझा 😢
माना, नहीं कर सकते 
हम कुछ लेकिन 
पसरते हैं कुछ प्रश्न 
मन के अंधे गलियारों में 
प्रभु! वो सब भी बालक थे तुम्हारे प्यारों में--
उनके अपनों को देना साहस शांति 
उन्हें बुलाया है तो 
लेना अपनी शरण 
हम नासमझ केवल 
कर सकते प्रार्थना 
सर्वे भवन्तु सुखिनः की
स्वीकार करना यह कामना 🙏🏻
प्रणव भारती
 - Pranava Bharti