*दोहा-सृजन हेतु शब्द*
*नौतपा, लूक, ज्वाला, धरा, ताप*
धरा *नौतपा* में तपे, सूखे नद-तालाब।
मानव व्याकुल हो रहे,पशु पक्षी बेताब।।
तपी दुपहरी *लूक*-सी, कठिन हुआ है काम।
जीव जगत अब भज रहा, इन्द्र देव का नाम।।
राष्ट्रप्रेम-*ज्वाला* उठी, चला सैन्य-सिंदूर।
पाकिस्तानी जड़ों में, मठा-डाल भरपूर।।
*धरा* हमारी राम की, कृष्ण-बुद्ध की राह।
बुरी नजर यदि उठ गई, लग जाएगी आह।।
बँटवारे के *ताप* को , भोग रहा था देश।
भारत के चाणक्य अब, बदल रहे परिवेश।।
मनोज कुमार शुक्ल *मनोज*