एक पहेली है ये मन
कभी ख़ामोशियों में डूबा,
कभी बातों में उलझा रहता है,
कभी खुद से रूठ जाता है,
तो कभी सपनों में बहता है।
हँसी में भी ग़म छुपा लेता,
और अश्कों में मुस्कान ढूंढ़ता है,
हर किसी से कुछ कहने को बेताब,
पर खुद से ही चुप रहता है।
कोई सुलझा नहीं सका इसे आज तक,
ना कोई सवाल पूरा हुआ,
ये मन...
एक पहेली है,
जो हर रोज़ नई गुत्थी बुनता है।
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