सीकर, राजस्थान का एक छोटा सा शहर है जहाँ हर साल हज़ारों बच्चे आँखों में एक सपना लेकर आते हैं — जेईई पास करने का सपना, नीट क्लियर करने का सपना या सरकारी नौकरी पाने का सपना।
सीकर की सर्द सुबहें किसी तपस्वी की साधना जैसी होती हैं। गलियों में उठती भाप जैसी चाय की महक, साइकिलों की घंटियाँ और कोचिंग सेंटरों के बाहर जुटी भीड़ एक अलग ही दुनिया बनाती हैं। इन्हीं में एक चेहरा था – अंकित।
अंकित, एक साधारण ग्रामीण परिवेश से आया लड़का, जिसके चेहरे पर गहराई थी और आँखों में एक स्पष्ट उद्देश्य – राजस्थान के सरकारी स्कूल में शिक्षक बनना। उसके पिता का देहांत बचपन में ही हो गया था। माँ ने अपने छोटे-से खेत और दूसरों के खेतों में काम करके उसे बड़ा किया था। माँ की उम्मीद और गाँव की गरीबी दोनों उसकी आँखों में बसी थीं।
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