Title: "आख़िरी मुलाक़ात 💔"
वो आज भी उसी टेबल पर बैठी थी। कैफ़े में वही पुराना गाना बज रहा था ,
“तुम थे, पर क्यों नहीं थे...”
नीली ड्रेस पहनी थी उसने। वो जो आरव ने उसे पहली बार गिफ्ट की थी, उस शाम... जब उसने कांपते हुए कहा था,"तुमसे मोहब्बत हो गई है।"
चार साल बाद आज आरव आया था — लेकिन उसकी आँखों में अपना अक्स नहीं था।उसके हाथ में एक इनविटेशन था,“मेरी शादी है… तुम आओगी तो,मुझे ख़ुशी होगी।”
वो मुस्कुराई।हाँ... मुस्कुराई, जैसे कुछ महसूस ही नहीं हुआ।पर उसके अंदर?कुछ ऐसा टूटा जो आवाज़ नहीं करता। बस साँस रोक देता है।
आरव चला गया।डोरबेल की तरह वो इनविटेशन टेबल पर छोड़ गया।
वो देर तक उसे देखती रही, फिर धीरे से उसे मोमबत्ती की लौ में जला दिया।
और खुद?वहीं बैठी रही, कॉफ़ी में घुली राख पीते हुए।
“कभी-कभी मोहब्बत जीतती नहीं… सिर्फ़ ज़िंदा रहती है।”
by: Neha Jha ✍️