भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी:-
हर सुबह अलार्म की तेज़ आवाज़ से आंख खुलती है, और नींद को ताक पर रखकर हम एक ऐसी दौड़ में शामिल हो जाते हैं जिसकी कोई finishing line ही नहीं दिखती । सुबह से लेकर रात तक बस time table, deadline, meetings, classes, और न जाने क्या-क्या।
कभी लगता है हम जी नहीं रहे, बस समय को काट रहे हैं। चाय का कप भी ठंडा हो जाता है इंतज़ार करते-करते कि शायद अब दो मिनट मिलें सुकून के, लेकिन नहीं… अगला काम तैयार खड़ा होता है।
हम सब इतना कुछ हासिल करना चाहते हैं कि जीना ही भूल गए हैं। दिल की बातें, अपनों की हंसी, खुद से मिलने का वक्त… सब मिस हो जाता है इस भाग-दौड़ में।
पर क्या ज़रूरी है हर रोज़ भागना?
कभी-कभी रुककर भी देखो… सांस लो, आसमान देखो, चाय गरम ही पी लो। क्योंकि ज़िंदगी कोई race नहीं, ये तो एक सफर है — और सफर का मज़ा तभी है जब हम हर मोड़ को महसूस करें।