*दोहा-सृजन हेतु शब्द*
*खेत,माटी,रबी,फसल,खलिहान*
कृषि-क्रांति ने बदल दिया, कृषक *खेत* परिणाम।
श्वेत-क्रांति ने लिख दिया, धरा-कृष्ण-बलराम।।
*माटी* की खुशबू सदा, खींचे सबका ध्यान।
परदेशों में जब रहें, उपजे मन में ज्ञान।।
फसल *रबी* की कट गई, आया अप्रैल माह।
सूरज की गर्मी मिली, दूर हटे कृषि-दाह।।
राष्ट्रवाद की *फसल* को, रखें सुरक्षित आप।
संकट के हर काल में, मिट जाएंगे ताप।।
भारत का *खलिहान* अब, लक्ष्मी का भंडार।
अन्नपूर्णा की कृपा, खुशहाली आधार।।
मनोज कुमार शुक्ल *मनोज*