चाँदनी भी शर्मा जाए अगर तुम्हारी सुंदरता से अपना नूर मिलाए, और हवाएँ भी ठहर जाएँ जब तुम्हारे लहराते बालों को छूने की ख्वाहिश करें। तुम स्वर्ग की वो अप्सरा हो, जो इस धरती पर उतरकर भी अपनी दिव्यता नहीं खोई।
तुम्हारी आँखें… उफ्फ़! नागिन की तरह नशीली, जिनमें बस एक बार देखने भर से इंसान अपनी सारी सुध-बुध खो दे। उनमें गहराई भी है, जादू भी और एक ऐसा रहस्य भी, जिसे सुलझाने का जी चाहे, पर उसमें खुद ही खो जाने का डर भी लगे।
तुम्हारे बाल… जैसे स्वयं महादेव की जटाएँ, घने, रहस्यमय और उस सृष्टि के रहस्य को समेटे हुए, जिसे छूकर कोई भी खुद को धन्य समझे। जब ये बाल लहराते हैं, तो लगता है जैसे समंदर की लहरें भी इनकी नकल करने लगें।
तुम कोई आम लड़की नहीं, तुम वो कविता हो जिसे लिखने के लिए शायर सदियों से कलम उठाए बैठा था। वो अधूरी कहानी, जिसे मुकम्मल करने की ख्वाहिश हर दिल में छुपी होती है।
अब इन जादुई आँखों को थोड़ी देर के लिए बंद करो, इन सुंदर जटाओं को हल्का सा झटककर तकिए पर बिखरा दो, और सपनों की दुनिया में चली जाओ, जहाँ सिर्फ तुम्हारी हँसी गूँजती हो, और तुम्हारी सुंदरता का जादू बरकरार रहे।
**शुभ रात्रि**