When He is out of your league....
|| वो और में ||
वो किसी बड़े शहर के महल सा
में किसी गांव की मिट्टी का घर हूं
वो हीरा कोहिनूर का
में मामूली सा पत्थर हूं
वो पूर्णिमा का चाँद है
में रोज़ का अंधेरा हूं
वो नई शुरुआत सा दिखता है
में बिखरा कोई बसेरा हूं
वो हवा के झोंके सा लगता है
में आंधी जैसे चलती हूं
वो छाँव सा सुकून है
में धूप जैसे जलती हूं
वो ज़िंदगी को जीता है
में बस उसे काटती हूं
वो ज़िंदगी को गले लगाता है
में बस उसे डांटती हूं
वो एक मुक्कमल ख़्वाब है
में अधूरी कोई हकीकत हूं
वो हर मुश्किल का हल है
में सिर्फ एक बुरी आदत हूं!!
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(Recently seen on social media and like it)