रात की चादर में लिपटी तेरी यादें,
अब भी मेरी खिड़की से झाँकती हैं।
हवा जब भी बालों को छूकर गुज़रती है,
ऐसा लगता है, जैसे तेरा एहसास बहा लाती है।
तेरी हँसी की गूँज कहीं गुम हो गई,
पर दिल अब भी उसी लय में धड़कता है।
तेरी आँखों की गहराई में जो सपना देखा था,
अब वो हर रात मेरी आँखों में तैरता है।
कभी तेरा नाम होंठों पर आकर रुक जाता है,
कभी ख़्वाबों में तेरा आंचल लहराता है।
कभी मेरी धड़कन तुझसे सवाल करती है,
कि मोहब्बत अगर सच्ची थी, तो तू लौट क्यों नहीं आता?
मैंने चाँद से पूछा— "क्या तेरा भी कोई बिछड़ा है?"
वो मुस्कुराकर बोला— "इश्क़ में कौन पूरा है?"
कभी जो पास था, अब भी पास लगता है,
मगर फासले वही हैं, जो कल थे, आज भी हैं।