The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
गीता जयंती 2024 -------------------------- हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती मनाई जाती हैं। इस बार 11 दिसंबर 2024 को गीता जयंती मनाई जा रही है, यानि कि आज। आप सभी को गीता जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए प्रस्तुत है मेरी एक रचना 🙏 🙏 गीता का ज्ञान ----------------- श्रीकृष्ण दे गए गीता का ज्ञान नहीं है कोई भी उससे अनजान गीता का सार सिखाता है जीना पर सीख नही पाए, रहे अज्ञान । कलयुग में अब भी कई दुर्योधन हैं खड़े अब कोई कृष्ण नही जो उससे आकर लड़े समाज में फैल रही हैं कई विसंगतियां पर सब अपने ही सुख-दुख में घिरे पड़े। गीता की महिमा का मर्म जो समझे सभी आज सफल हो जाए जीवन सभी का सफल हो काज अनोखा गूढ़ रहस्य है इसमें सदियों से छुपा हुआ समझ जो गये वही बजायें सुख का अनमोल साज । आभा दवे 11-12-2024 बुधवार
छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏💐 हाइकु -छठ पर ----------------- 1) कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की षष्ठी छठ की पूजा। 2) सूर्योपासना वैदिक काल संग फैली संस्कृति। 3) निर्जला व्रत सर्वकामना पूर्ति सूर्य नमन। 4)छठ की पूजा रनबे माय पूजा नाम है दूजा। 5) छठी मइया सूर्यदेव बहन अर्पित पर्व। आभा दवे मुंबई
आभा दवे की कविताएं ---------------------------- 1)पिता का प्यार -------------------- यादों के साए अब भी मंडराते हैं मन में एक हूक सी जगाते हैं जब भी अतीत में झाँकती हूँ वहाँ पापा की यादें हाथ पकड़े खड़ी रहती हैं। कंधे पर उठाए पूरी दुनिया दिखाते वह हाथ बहुत याद आते हैं भीड़भाड़ से बचाते गोद लेकर चलते मंदिर में हाथ जोड़ते प्रार्थना करते वह मजबूत हाथ बहुत याद आते हैं। पिता का मौन प्रेम आज भी वहीं खड़ा है मेरे बचपन के साथ जहाँ से पिता ने हाथ पकड़कर चलना सिखाया इस दुनिया से परिचय कराया वो मजबूत हाथ अब मेरे मन में बस गए हैं जो मुझे आज भी रास्ता दिखाते हैं। 2)वृद्ध -------- घर की शान बढ़ाते हैं ये वृद्ध ,बूढ़े और बुजुर्ग हमसाया बन जाते हैं यह वृद्ध ,बूढ़े और बुजुर्ग बचपन कभी सवारां था इन झुर्रियों भरे हाथों ने प्रेम से पाला था कभी देकर दुलार का प्याला । अपना सर्वस्व न्यौछावर करके गमों में भी मुस्कुराते रहे बच्चों की खातिर अपना जीवन लुटाते रहे उनकी खुशी में मुस्कुराते रहे उनके गमों में आँसू बहाते रहे। वक्त ने छीन लिया अब इनका यौवन ये बुजुर्ग अब वृद्ध नजर आने लगे कुछ को मिला घर में सम्मान और कुछ वृद्धाश्रम जाने लगे। तकदीर का खेल है निराला बच्चे इनसे नजर चुराने लगे ये अपने बुढ़ापे से लाचार खुद से समझौता कर जीवन अपना बिताने लगे। बस इन्हें थोड़ा सा मान- सम्मान चाहिए नाती -पोतों का प्यार चाहिए अपने जीवन के अनुभवों की झोली विरासत में दे जाएँ ऐसा अपनो का साथ चाहिए कुछ नही इन्हे बस थोड़ा सा प्यार चाहिए । 3)शोषण ------------ सदियों से होता चला आ रहा शोषण नारी के तन- मन का द्रौपदी भी चीखी - चिल्लाई थी अपनों से ही घबराई थी करुण पुकार सुन कृष्ण ने लाज भी बचाई थी न जाने कहाँ है अब वो कृष्ण फिरती है नारी अब भी घबराई सी अपनों से ही छली जाती है सदा अपने तन को वो छुपा ले अब कहाँ ? 4)परिवार --------------- दुनिया में आते ही जुड़ जाता है अनोखा रिश्ता परिवार संग दुख- सुख संग बहती है धारा जीवन की परिवार है केन्द्र बिन्दु इस जीवन का जो थामे रखता है इक- दूजे का हाथ सदा जीवन तो सब के संग चलने का नाम है इसी में सुख, समृद्धि ,सम्मान है यही दुनिया है सभी की इसी में आराम है परिवार इसी का नाम है । 5)तलाश -------- मिल गई है सारी खुशियाँ जिंदगी की पा भी ली है मंजिल मैंने कभी की कोई शिकवा -शिकायत नहीं जिंदगी से जीती हूँ वर्तमान में सकारात्मक सोच लिए। अतीत और भविष्य के बीच कभी डोल लेती हूँ छोटी-छोटी खुशियों में ही खुशी तलाश लेती हूँ अपनों के बीच उसे बाँट लेती हूँ सफर जिंदगी का बस यूँही चला चले अपनी ही तलाश में मन न भटका करें । सांसों की डोर तो प्रभु के हाथ मिलता रहा हमेशा उनका साथ अन्तर्मन में रहते सदा करनी नही उनकी तलाश प्यार से रखा है उन्होंने आशिर्वाद मेरे माथ। 6)रिश्ता दोस्ती का ---------------------- हर रिश्ते की अपनी एक मर्यादा होती है जिसकी अपनी हद और सीमाएँ होती हैं निभाई जाती है बड़े ही शिद्दत के साथ तभी उस रिश्ते में कामयाबी होती है । एक रिश्ता होता बड़ा ही अनोखा और न्यारा दोस्ती का निश्छल रिश्ता जो किसी बंधन में न होता बंधा दिल से जुड़ा यह रिश्ता हर पल पर देता सहारा कभी तू -तू ,मैं- मैं करता और कभी प्यार से गले लगाता यह दोस्ती का रिश्ता सदियों से चला रहा है कृष्ण संग सुदामा हरेक के जीवन में मुस्कुरा रहा है । 7)लाडला ---------- मैं लाडला यशोदा का माखनचोर मतवाला माखन मिश्री खाकर जीत लेता जग सारा । सिर पर मोर मुकुट कमर में सोहे बांसुरी गहनों का श्रृंगार किए छवि लगे मेरी न्यारी । हरे रंग में सुनहरी किनारी सबके मन की दुलारी मेरे चंचल चितवन पर देखो गोपियाँ बलिहारी । 8)किरदार ------------- ये लेखनी भी खूब कमाल करती है न जाने कितने किरदार गढ़ती है किसी को बैठा देती है सातवें आसमान पर किसी को भिखारी का पात्र थमा देती है। जैसे विधाता ने अपने अलग -अलग किरदार गढ़ लिए और सभी को अलग अलग हिस्सों में बाँट दिया कुछ समय के लिए इस जहाँ में चाहे- अनचाहे किरदार निभा रहे सभी । मजबूरी, लाचारी, बेबसी के इर्द-गिर्द कभी सुख कभी दुख की नैया पार लगाते जिए जा रहे हैं सभी एक नयी आस में जगत के अद्भुत ईश्वर के विश्वास में । 9)कृपा ---------------------------- कृष्ण अपनी बाँसुरी फिर से बजा बाँसुरी की धुन पर सबको नचा तू तो है जग का लाडला अपनी मधुर मुस्कान फिर से दिखा । दीनों पर तू करता दया उन पर अपनी कृपा बरसा तरस रहे सब तेरे दरस को पहली सी आकर छवि दिखा । बाल गोपाल का रूप हो या सुदर्शन धारी तेरी महिमा बड़ी ही निराली ,लगती प्यारी ज्ञान की राह फिर से दिखा नेक राह पर सबको चला । जय गोविंद जय गोपाल राधा का श्याम मीरा की शक्ति प्रेम सुधा को तरसी धरती मेह प्यार का तू बरसा । 10)परीक्षा --------- करवट बदलती रहती है हमेशा जिंदगी काँटों और फूलों के संग झूलती जिंदगी खट्टे -मीठे अनुभव में बँधी हुई थिरकती परीक्षा लेती दरिया सी बहती जिंदगी । आज -कल का नहीं है ये सफर जिंदगी का सदियों से चला आ रहा दौर मुश्किलों का हार -जीत के पलड़े होते रहते ऊँचे-नीचे परीक्षा की सुई दौड़ती वक्त के आगे-पीछे । सफलता -विफलता कहती सभी के जीवन की अनोखी , अद्भुत कहानी लगा पार वही जिसने सीखी जिंदगानी विजयी मुस्कान लिए परीक्षा में सफल हुए। आभा दवे मुंबई
Copyright © 2024, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser