प्रकृति का प्रेम
हरी-भरी ये धरती प्यारी,
सजती हरियाली की साड़ी।
नदियों का संगीत मधुर,
हवा गाए सुरों का झुरमुर।
सूरज की किरणें सुनहरी,
चूमे चोटी हर पर्वत की।
चाँदनी रातें सौंधी-सौंधी,
जैसे कहानी सतरंगी।
पंछी गाते प्रेम के गीत,
फूलों में बसी है मृदु प्रीत।
पेड़ों की छांव में है आराम,
प्रकृति का हर कण देता पैगाम।
चलो गले लगाएं इसको,
संभालें, सजाएं इसको।
प्रेम है इसका अनमोल,
प्रकृति है सच्चा संसार का बोल।