जैसा खाये अन्न वैसा होय मन जो माँसाहारी है उन्हे नही बदला जा सकता किन्तु जो शाकाहारी है उनके भोजन में शुद्धता का ध्यान बेहतर समाज और राष्ट्र का परम कर्तव्य है इसके लिए ट्रेन व अन्य सामूहिक स्थलो पर केवल शाहाकाहारी भोजन बनना ही उचित है |शाकाहारी भोजन सबका पेट भर सकता है मगर माँसाहारी भोजन केवल माँसाहारियों का |