#Forget /भूलना
कौन भूलता है
मैं उससे प्रेम करता था,
सखी थी, सहचरी थी।
उसे पाना असंभव था,
विरह की शर्त,
ब्रहमा ने धरी थी।
हठ राधा का रहता था,
हवा में झूलने का,
मेरा प्रण था,
बस उसके कहे को पूरने का।
कदम की डाल फिर तो,
मिलना तय किया हमने,
मगर थी शर्त तो कुछ और,
जिस कारण,
किसी दिन वह न आई,
और किसी दिन मैं नहीं पंहुचा।
कदम की डाल पर जाने,
वो झूला कौन झूला था,
न भूली होगी वह और,
मैं उसे बिलकुल न भूला था।