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Amrita shukla

Amrita shukla Matrubharti Verified

@amritashukla
(69)

#Painदर्द
दर्द को दर्द से मिटा रहे हैं वो
जिदंगी को मौत बना रहे हैं वो
ज़माने को कदमों में झुकाए रहते हैं
मासूम फूलो को मुरझा रहे हैं वो।
डॉअमृता शुक्ला

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#जीवन के बिखरे ताने -बाने में,

हँसने और रोने के फ़साने में,

समय कैसे गुज़रता जाता है,

महीने,सालों के आने जाने में।

कितने रिश्ते बिछड़ते ,टूटते

होते थे अपने ,जुड़ते अन्जाने में।

हमने जिनको प्रेम से सींचा था ,

उन्हें परवाह नहीं पास आने में।

अब तो अकेले ही बसर करूं मैं,

बुनकर करखे के चलते जाने में ।

डाॅ अमृता शुक्ला

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पंछी
1_मैं और तुम एक पंछी सुंदर ।

उड़ते फिरते हम डाल-डाल पर ।

सुन सखी एक बात है कहना।

बहुत ध्यान से सब कुछ सुनना।

पेड़ की छांव का कहाँ ठिकाना।

मिले नहीं ठीक से पानी -दाना।

जल थल नभ में हुआ प्रदूषण ,

दूभर हो गया है सबका जीवन ।

मानव अभी यदि समझ जाए,

प्रकृति खुश हो ,हम भी मुस्काएं।
डॉअमृता शुक्ला

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#Falgun
पिचकारी में चाह समेटे,प्रेम अबीर हथेली में।
फागुन ने रंग बिखराए ,पी मिल जाए होली में।

गलियाँ फागो से गूँजे है,ढोल मंजीरे की है धुन,
भरी भीड़ में खुद को ढूँढे ,मन में होने लगी चुभन।
कोई तो ऐसा आ जाए जो पी को लाए होली में।
फागुन ने रंग बिखराए, पी मिल जाए होली में।

सखी बोली-सब रंग रंगे हैं,पी कैसे पहचानेगी,
कहा-ह्रदय के तार जुड़े हैं,देर सामने आने की।
देख तभी कहीं अचानक बाँह पकड़ ली होली में
फागुन ने रंग बिखराए, पी मिल पाए होली में।
डॉअमृता शुक्ला

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आज कलम ,कागज ,दवात चुप हैं।

तुम्हारे बिना सारे ज़ज़्बात चुप हैं।

लिखना बहुत है,पर लिख नहीं पाते ,

तन्हाई में लगे सारी कायनात चुप है।

डॉअमृता शुक्ला

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अंजुरी में ले फूल चढाऊं, लगाऊँ कुमकुम चंदन

अपनी आंखे बंद कर करती हूं ईश्वर का वंदन

सुख के रास्ते आएं या मुश्किल की घड़ियां आएं

सिर पर हाथ तुम्हारा होगा, कट जाएंगे सारे दिन

हम तो सदा रहते सहारे तेरे तुमको ही भजते हैं

इसी तरह भक्ति भाव में ढूबे जी पाएंगे जीवन।
डाॅ अमृता शुक्ला

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फर्क नहीं पड़ता उनके बोलने के अंदाज़ से।


थक चुके हैं हम दर्द देते हुए उन अल्फाज़ से।


कितनी कोशिश करते रहे कि वो समझ जाएं ,


कुछ लोग अन्जान है मिलकर रहने के राज़ से।

डॉ अमृता शुक्ला

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#
आ गया पावन नवरात्रि का त्योहार।

आज मां का आगमन हुआ है द्वार।

सबकी मनोकामना पूर्ण हो जाएं,

शुद्ध मन से भक्ति होगी स्वीकार।

अंबे जगदंबे , दुर्गा, शैल पुत्री रूप ,

लाल चुनरिया में है सुहागिन सिंगार।

आ गया पावन नवरात्रि का त्योहार।
आज माँ का आगमन हुआ है द्वार।------'

कांपने लगती धरती और आसमान,

जब लेती हैं मां काली का अवतार।

रौद्र मुख से रक्त टपकता रहता है,

राक्षस का अंत करने थामी कटार।

आ गया पावन नवरात्रि का त्योहार।

आज माँ का आगमन हुआ है द्वार।

गलती को क्षमा करो,, कृपा रखो माता,

पापी का कर संहार ,सिंह पर हो सवार।

जब तक है जीवन, पूजन करते जाएं

सुख शांति मिले आके तेरे दरबार।

आ गया पावन नवरात्रि का त्योहार।

आज माँ का आगमन हुआ है द्वार।


डॉअमृता शुक्ला

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#Ramaपिता के वचन को निभाने चले हैं।

वचन की महत्ता बताने चले हैं।


राम -सिया संग लखन भ्रात है,

न कोई प्रश्न है , न कोई बात है।

टेढे रास्ते और नदी- जंगल कहीं

किसी को इसकी परवाह नहीं।

पीछे-पीछे पग को बढ़ाते चले हैं


कोमल मुख,सुकोमल गात है,

धनुष बाण थामें हुए हाथ हैं

पांव में पादुका भी न पहने,

साधु के वस्त्र, फूलों के गहने।

कठिनाई में मुस्कुराते चलें हैं



भरत भी अति दुख से भरे हैं।

माता के प्रति रोष ही कर रहें हैं।

इस सब की वजह है मंथरा दासी,

जिससे अयोध्या में छायी है उदासी।

चरण पादुकाएं लाने चले हैं,

प्रभु को मनाने चले हैं।

डॉअमृता शुक्ला

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#Krishna

हे कृष्ण कन्हैया,ओ रास रचैया

तुम ही माखनचोर ह्रदय बसैया।

1-नंदबाबा का लल्ला प्यारा,

यशोदा की आंखों का तारा,

माटी खा कर मुख के अंदर

ब्रह्मांड दिखा ड़ाला सारा।

पूज्य बड़े बलदाऊ भैया

तुम ही माखनचोर ह्रदय बसैया।

2-किया पूतना का वध ,

ऊंगली पर थाम लिया पर्वत,

अर्जुन को उपदेश दिया,

संकट में द्रोपदी की राखी पत

भक्त की पुकार पर बने खिवैया

तुम ही माखनचोर ह्रदय बसैया।

3-यमुना तीरे , कंदब के नीचे ,

मुरली बजाएं आंखें मींचे

मीठी धुन सुन सुनकर

ग्वाल ,गोपिका रीझें, सब आएं पीछे

नृत्य कर उठें ,ता ता थैया

तुम ही माखनचोर ह्रदय बसैया।

डॉअमृता शुक्ला

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