#Faint can train u for better Routine..!!
My Realistic Poem...!!!!!
आज दिल ने हम से कहाँ उठिए
शायर साहब चलिए कलम उठाइए
हमने मान-ली ग़मज़दा दिल की बात
हंस-कर कहाँ दिल से क्यू करते हो
जनाब ग़म किसी अपने के जानें का
क्या यक़ीन नही आपको उस मेहरबान
रब की बनी मसलेहत-ओ-निज़ाम पर
पर्दा-पोशिदा है बेशक कुदरत उसकी
तेरी सोच-ओ-ख़्याल से भी है परे पर
घड़ी ⏰ के तिनके भर भी नहीं है उसमें
रद्द-ओ-बदल ना ही है कोई शक की
गुंजाइश ना कोई ग़मज़दा ख़्याल से भी
सरोकार है उस प्रभुजी के हर फ़ैसलों में
करमों कीं कथनी जो है लिखी किताब
में उसकी, चलना उसी पर आफ़ताब
महताब ओर जहाँ के हर-एक हिसाब
फिर ग़मों के दिल में क्यू पालें सैलाब
शायर साहब देना है रब को भी जवाब।
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