तुम यूं ही ताउम्र मुझे चाहते रहना, तुम यूं ही ताउम्र मुझे चाहते रहना,,,,
रिश्ता हमारा मोहताज नहीं है किसी बंधन का,,,
न किसी अंगूठी का, न किसी कंगन का,,,
डोर अपने दिल की मेरे दिल से यू ही जोड़े रहना,,,
तुम ताउम्र यूं ही मुझे चाहते रहना,,,,
जानता हूं फासला शहरों का है दरमिया हमारे,,,
मगर एक ही जैसे होते है वहां के सुबह शाम और मौसम सारे,,,
दूरी इसे दिल की कभी न बनने देना,,,
तुम यूं ही ताउम्र मुझे चाहते रहना,,,,
तुम यूं ही ताउम्र मुझे चाहते रहना...#HAAHBTU ...#D