"शून्य सा खड़ा पंचवटी मित्रो को देखता रहा"
*****
मेरा रायपुर में मेरे एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स का आज अंतिम दिन था,
एक वर्ष में बनाये दोस्त यार जो मेरे साथ ही मध्यप्रदेश, एवं अन्य प्रांतों से आये थे ,सब एक दूसरे का साथ छोड़कर आज डिप्लोमा सेंटर से जाने बाले थे ।
डिप्लोमा सत्र समाप्ति के कुछ दिनों से पँचकुटी मित्रो की बजह से मुझे रायपुर अच्छा लगने लगा था ।
डिप्लोमा करने के लिये भोपाल से रायपुर जाने के निर्णय पर घर बाले भी करीब करीब असहमत ही थे, पर मेंने अच्छे भविष्य की तलाश के लिये परिवार बालो को रायपुर डिप्लोमा कोर्स करने जाने हेतु मना लिया था ।
मेरे साथ के पुराने मित्र मुझे भोपाल रेलवे स्टेशन छोड़ने आये थे । मुझे एक अजीब सा डर ये था कि कैसे यहां के मित्रो को छोड़कर एक वर्ष वयतीत करूंगा बस यही सोचते- सोचते ट्रेन प्लेटफार्म पर आ गयी, में उसमे सवार हुआ, मित्रो से विदाई दी गाड़ी चल पड़ी ।
एक नये सफर में कब नीद आ गयी सुबह 6 बजे नागपुर स्टेशन पर नीद खुली, तो देखा सामने की सीट पर युवक मुझे देखकर मुस्कुरा रहा है मेने भी स्माइल दी, बोला कहा जाओगे मेने कहा रायपुर फिर धीरे धीरे बातों का सिलसिला चल पड़ा थोड़ा मन हल्का हुआ क्योंकि वो युवक भी रायपुर ही जा रहा था इंजीनियर पर नई नई नोकरी लगी थी उसकी, भोपाल में ही उसका भी परिवार रहता था ।
दोपहर करीब एक बजे ट्रेन ने हमे रायपुर पहुँचा दिया स्टेशन पर उतर कर में बाहर निकलने लगा तभी उस युवक ने आवाज दी कहां जाओगे, मेने कहा कोई लॉज देखूंगा उसने मुसकुरा कर कहा, अपन भोपाल के है कहा लॉज में रुकोगे हमारे साथ हमारी पंच कुटी में चलो, हम तीन मित्रो के साथ रहते है सभी नोकरीपेशा है यदि हमारी कुटी और हमारे मित्र पसन्द ना आये तो तुम्हारी अलग रूम की व्वयस्था कर देंगे में सहर्ष मांन गया था ।
हम रिक्शे में वेठकर अब युवक नही मित्र लिखूंगा साथ मे आनंद नगर घर आ गये । हमारा मित्र का घर हॉस्टल जैसा ही था चार विस्तर अलग अलग पड़े थे सभी कहना खुद बनाते थे । शाम को सभी से हमारे मित्र ने मुलाकात करायी सभी अच्छे थे,दूसरे दिन से डिप्लोमा क्लास ज्वाइन कर ली वहां भी नये मित्र बने, समय कुछ अच्छा कटने लगा, भोपाल के मित्रो की कमी को मेरे पँचकुटी के मित्रो ने पूरी कर दी, सब परिवार जैसा हो गया था आज का रिजर्वेशन ट्रेन से वापस जाने का था उसके एक रात पहले मेरे पँचकुटी के साथियों ने विदाई पार्टी दी थी सब मुझसे गले लगकर बहुत रोये थे ।
पँचकुटी के सभी मित्रो ने आज मुझे विदा करने हेतु आफिस से छुट्टी ली थी, सब मुझे स्टेशन छोड़ने आये थे ट्रेन आयी मुझे मित्रो ने पुनः गले लगाया रायपुर आते रहने का वादा लिया, ट्रेन चल दी में मेरे पंचवटी के मित्रो को अपनी आंखों से ओझल हो जाने तक शून्य सा खड़ा देखता रहा ।
***********कमलेश शर्मा "कमल"****************
#शून्य