ॐ नमः शिवाय
एकादशेश सप्तम भावस्थ
एकादशेश यदि सप्तम भाव में हुआ तो लाभ ही लाभ।
पत्नी से लाभ
मित्रों से लाभ
चाचा से लाभ
बड़े भाई बहनों से लाभ
साझेदारी से लाभ
ये लाभ वो लाभ हर प्रकार के लाभ।
पर रुको ज़रा सब्र करो कितना लाभ कमाओगे।
कुछ नुकसान भी तो झेलने पड़ेंगे।
अगर गुरु हुआ तो जीवनसाथी हरि बोल हरि बोल की माला जपे भक्ति में लीन। मतलब आपकी छुट्टी। अपने आप को सर्वज्ञानी और आप एक तुच्छ प्राणी।
अगर शुक्र हुआ तो एकस्ट्रा मैरिटल अफेयर्स मतलब जीवन साथी परेशान।
बुध हुआ तो साझेदार मित्र मंडली काम के अलावा सब कुछ करेगी।
चंद्र हुआ तो जितना भी लाभ होगा वो कम ही लगेगा। कहीं से भी किसी से भी संतुष्टि नहीं। मन में और पाने की चाह।
शनि हुआ तो कहना ही क्या लाभ प्राप्त तो होगा पर उस लाभ के लिए कितनी चप्पलें घिसनी पड़ेंगी वो तो सिर्फ शनि मर्ज ही जानते हैं।
मंगल हुआ तो उतावलेपन से जिद्द से क्रोध से जल्दबाजी से लाभ वाभ सब बराबर कर देगा। सबको निबटा देगा।
सूर्य हुआ तो जीवनसाथी की आग में जल जाएंगे। सांस लेने के लिए भी आज्ञा लेनी पड़ेगी। अपना कुछ नहीं जो है सब तेरा वाली बात रहेगी।
कुछ त्रुटि हुई हो या कुछ कम ज़्यादा बोल दिया हो तो क्षमा करें।
आचार्य दीपक सिक्का
संस्थापक ग्रह चाल कंसल्टेंसी