मैं और मेरे अह्सास
शून्य से प्रश्न
शून्य से प्रश्न किया तेरी औक़ात क्या है बता दे जरा l
उसने कह दिया एक बार मुझे हटा के देख ले जरा ll
शून्य के बिना कोई हस्ती नहीं एक दो तीन चार की l
बढ़ती जाएगीं कीमत जितने लगाता जा अंक पे जरा ll
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह