अच्छा और सुनो
एक बढ़िया सी बात बताती हूं
लोग कहते है... लोग मतलब पुरुष
वो कहते है कि देखो भाई इन औरतों को
इनका घुंघट बोझ लगता है और मुंह बांध के जाना शान लगता है...जब पूरा मुंह बांधना ही है तो फिर घुंघट से इतना ऐतराज क्यों?
कई बार ये बात मैने भी सुनी कुछ लोगों से ...पर कभी इतना ध्यान नहीं दिया...पर इन दिनों ये बात कुछ ज्यादा ही सुनने मैं आ गई तो,अब हम ठहरे overthinker ... अब इस बारे में विचार करना तो अपना फर्ज बनता है।फिर सोचा कि क्या घुंघट और आधुनिक लड़कियों के मुंह बांधने में क्या कोई फर्क नहीं...?
क्या वाकई लोगों का इन दोनों चीजों की तुलना करना सही है...फिर मन के किसी कोने ने आवाज दी...नहीं
ये दोनों एक कैसे हो सकते है।
एक महिलाओं को सशक्त बनाती है और एक ...
मुझे लगता है इसके लिए उपयुक्त शब्द मेरे पास नहीं है।
आधुनिक तरीके में आंखे खुली रहती है तो देखने में कोई दिक्कत नहीं आती पर घुंघट में अधरों के ऊपर का हिस्सा ढका रहता है। दोनों जब प्रयुक्त ही अलग मायनों में हो रहे तो दोनों समकक्ष कैसे हो सकते हैं।
एक जब धूप में पहना जाता है तो दूसरा छांव में।
एक से चमड़ी बचती है तो दूसरी से मर्यादा।
ऐसा वो कहते है मैं नहीं कहती।
और धूप से तो बचना जरूरी भी है...पर क्या घुंघट से मर्यादा बच जाती है?
खैर बहस करने को बहुत कुछ है इसलिए मुझे तो अभी धूप में जाना है
वो भी मुंह बांध के🫣😁
ArUu ✍️