(डर)
सोशल मीडिया पर लगातार खबरें वायरल होती रहती हैं
बच्चियों के साथ हुए यौन शोषण, घिनौनी हरकतें।
देखकर मन भर आता है, गुस्सा, बेचैनी, घिनौना अहसास।
कितना नीचे गिर चुका है इंसान, कि मासूमियत को भी नहीं छोड़ता।
मेरे ज़ेहन में भी एक ऐसी ही याद हमेशा अटकी रहती है।
मैं शायद आठ-नौ साल की थी, माँ के साथ नानी के घर जा रही थी।
छोटी बहन माँ की गोद में, मैं माँ के पीछे उसका आंचल पकड़कर खड़ी थी।
बस में एक ही सीट मिली,माँ बैठ गई बहन को गोद में लिए, मुझे अपने आगे खड़ा कर लिया |
तभी पीछे वाली सीट से एक अंकल ने माँ से कहा, बच्ची को मेरे पास भेज दीजिये बहन जी..| माँ ने भी उनका उपकार माना
मुझसे कहा बैठ जाओ…, मैं उनकी गोद में बैठ गई |
लेकिन थोड़ी देर बाद महसूस किया..
कुछ ऐसा हो रहा था, जो मुझे अच्छा नहीं लगा
उन अंकल का हाथ पीछे से मेरी स्कर्ट में अंदर की तरफ बढ़ रहा था,
मैं डर गई और, उतरकर खड़ी हो गई।
अंकल ने मेरी ओर देखा और बोले, “क्या हुआ बेटा, बैठ जाओ।”
माँ ने भी कहा, “बैठ जाओ, गिर जाओगी।”
मैं चुप रही, भीतर से असहाय थी |
उन्होंने फिर मुझे अपनी गोद में उठा लिया |
मैं रोने लगी, माँ ने कहा नहीं बैठोगी तो आओ मेरे पास खड़ी रहो ;
वो आदमी मेरे पिता से भी बड़ी उम्र का था |
आजकल वायरल होती.. विडिओज में शरीफ़ दिखने वाले लोगों के
चेहरे दिख जाते हैं. वो कितने हैवान हैं भीतर से |
उन लोगों की तो कोई पहचान ही नहीं थी.. ना है जो विडिओ में, फोटो में नहीं आते |
आज मैं माँ हूँ।
जब भी अपनी बेटी को बाहर भेजती हूँ,
मन कहीं गहरे डर में डूब जाता है |
कौन सा चेहरा सुरक्षित है, कौन सा भेड़िये की तरह छुपा हुआ है, पता नहीं |
सोचती हूँ, जो लोग मासूम बच्चियों पर बुरी नज़र डालते हैं,
वे अपने घर की बेटियों, अपनी बहनों, अपनी औरतों के बारे में क्या सोचते होंगे?
कितने दिन, कितने साल हमें इसी डर के साथ जीना होगा.
अपने लिए, अपनी बेटियों के लिए |
यह डर, यह सतर्कता, यह सावधानी..
यह हर माँ की हकीकत है |
मासूमियत की रक्षा करना, इस दुनिया में सुरक्षित रहना,
ये हर माँ की सबसे बड़ी जंग है |
~रिंकी सिंह
#fear_of_every_mother
#sadtruth
#womanlife
#thought