(जीवन गीत )
कितनी ही बातें जीवन की गीत ख़ुशी का हो सकतीं हैं,
मगर ये दिल ना जाने क्यों बस दुख के राग सुनाता रहता |
कितने ही क्षण होते जिनको हँसके उत्सव कर सकते पर,
उस क्षण में भी बीते दुख में डूबके अश्रु बहाता रहता |
सबको ज्ञात यहाँ पर है कि,
सुख-दुख जीवन के हिस्से हैं |
कोई ऐसा मनुज नहीं है,
जिसके बस सुख के किस्से हैं |
जो संग हैं उनकी संगत में ये चेहरा जो खिल सकता पर,
छोड़ गए जो नाते उनकी याद में ही मुरझाता रहता |
ऐसा नहीं है सम्भव कि,
हरएक सपन साकार हो सके ||
जिनसे मन का मोह जुडा,
सबपर अपना अधिकार हो सके |
जो भी सुखद मिला जीवन से उसका जश्न मना सकता पर,
जो कुछ मिला नहीं चाहत का उसका शोक मनाता रहता |
कुछ भी वश में नहीं है अपने,
सारा खेल विधानों का है |
कोशिश करते रहना ही बस,
काम यहाँ इंसानों का है |
मन को है मालूम फ़िकर से कुछ भी ठीक नहीं हो सकता,
फिर भी चिंता की अग्नि में खुद को नित्य जलाता रहता |
~रिंकी सिंह ✍️
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