आरव एक व्यस्त इंसान था। दिन-रात काम, मीटिंग्स और सपनों के पीछे भागना ही उसकी ज़िंदगी बन चुकी थी। उसके घर में माँ अकेली रहती थीं, जो हर शाम उसके आने का इंतज़ार करतीं।
अक्सर वो कहतीं—"बेटा, पाँच मिनट मेरे पास बैठ जा।"
और आरव हँसकर जवाब देता—"माँ, अभी बहुत काम है, बाद में बैठूँगा।"
वक़्त बीतता गया। आरव की सफलता बढ़ी, पर माँ की उम्र और अकेलापन भी। एक दिन अचानक माँ बहुत बीमार पड़ गईं। अस्पताल के कमरे में आरव ने उनका हाथ पकड़कर कहा—"माँ, अब मैं आपके साथ बहुत वक़्त बिताऊँगा।"
माँ मुस्कुराईं, आँखें बंद कीं और धीमे से बोलीं—"बेटा, वक़्त कभी वापस नहीं आता।"
उनकी साँसें थम गईं।
आरव समझ गया कि दुनिया की सबसे बड़ी दौलत "वक़्त" है, जो हमने अपनों के साथ नहीं बिताया तो फिर कभी नहीं लौटेगा।
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✨ Moral:
प्यार और अपने लोगों को वक़्त देना ही सबसे बड़ी मोहब्बत है।