3. शांति का मार्ग ( श्रीमद्भगवद्गीता )
श्लोक:
ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात् संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥ (अध्याय 2, श्लोक 62)
भावार्थ:
विषयों का चिंतन करने से आसक्ति होती है, आसक्ति से कामना और कामना से क्रोध उत्पन्न होता है।
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