Hindi Quote in Motivational by Vijay Sharma Erry

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यह रही आपकी कविता "मैं कौन हूँ?", जिसमें आत्मा के अजन्मा, अमर और अजर स्वरूप को दर्शाया गया है —


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मैं कौन हूँ?

✍️ विजय शर्मा एरी

मैं कौन हूँ, ये रहस्य अनंत,
ना जिसका आरंभ, ना जिसका अंत।
ना जन्म मुझे, ना मरण का भय,
मैं अजर-अमर, मैं शाश्वत स्वयं।

बम, मिसाइल, तोपें सब हार गईं,
मेरी सत्ता के आगे बेकार गईं।
अग्नि जलाए तो भी मैं न जलूँ,
वायु उड़ाए तो भी मैं न ढलूँ।

ना पानी भिगो पाए मेरा अस्तित्व,
ना धरती में सीमित मेरा तत्त्व।
मैं वह ऊर्जा, जो अविनाशी है,
सत्य की ज्योति, जो निरंतर वासी है।

मैं ना देह, ना कोई आकार,
फिर भी मुझसे सारा संसार।
मैं वह राग, जो मौन में गूँजे,
मैं वह प्रकाश, जो तम में पूँजे।

समय के पहिये को मैं देखता हूँ,
हर युग, हर क्षण को मैं लेखता हूँ।
संसार बदले, देहें बदलें,
पर मैं न बदलूँ, मैं सदा अचलें।

मैं उपनिषदों की वाणी हूँ,
गीता की गूढ़ कहानी हूँ।
कृष्ण ने अर्जुन से जो कहा था,
वही मैं हूँ — "न हन्यते हन्यमाने शरीरे" का गहना था।

तो मत ढूँढो मुझको किसी रूप में,
मैं वास करूँ हर एक स्वरूप में।
सत्य, प्रेम और चेतना की धारा,
मैं आत्मा हूँ — न आदि, न किनारा।


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Hindi Motivational by Vijay Sharma Erry : 111992360
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