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हम बादशाह है मगर लिबासे सुल्तानी मे नही है चमकते हुए तारे है मगर आसमान मे नही है इल्म का खजाना है बस किताबो मे नही है रोशन है जमाना हम से मगर हम चरागो मे नही है ज़माने भर मे है दुश्मन हमारे हम किसी से दुश्मनी मे नही है -Kazi Taufique
Hame yad rakho ya bhul jao tumhari marzi Lekin ham vo khayal hai jo nikale se rahe Rhoshni se pareshan ho to andhera kardo tumhari marzi ham vo chrag hai jo sino me jala karte hai
हमसफ़र किताब किताबो बस किताबे ना समझो ये हमसफ़र है जिंदगी की अदबो तरीका नजाकत सलीक़ा इस मे लिखा है पढ़ोगे तो जीने तरीक़ा लिखा है फन और हुनर के किस्से लिखे बुजुर्गो ने इस मे तजुर्बे लिखे है मुहब्बत के फसाने लिखे है जंग के जिंदा नजारे लिखे है दौलत के वजीफे लिखे है ढेरो से नुस्खे लिखे है और थामलो किताबे मुकद्दस को तो दुनिया क्या आखिरत भी तुम्हारी है
जुल्म के तरफदार बंद कर लो आँखे जो जुल्म के तरफदार हो तुम झुका लो गर्दन जो इतने लाचार हो तुम तडप तडप कर मर वो जाएंगा देखना तुम जालिम भी जाएंगा देखना जो जुल्म के तरफदार हो तुम रोक नही सकते जो जुल्म को देखकर तो जालिम के साथ हो जीतना के वो तुम भी गुनाहगार जो तमाशबीन हो अंधे गुंगो की फौज मे तो जुल्म के तरफदार हो तुम
जिन्दगी जीना अब मजबूरी नही रही जब से मिले हो जिन्दगी से मुहब्बत हो गई जब से सुरत को देखा है यार की ना जाने चांद भी अच्छा लगने लगा है
तोडकर के कितने बार तोडोंगे मै वो पेड हु जो फिर उग ही आऊंगा खत्म करोगे कितने बार मै समंदर हु फिर भर ही आऊंगा हवा की आड कबतक बुझाऔंगे मै बस चिराग नही हु जो बुझ ही जाऊंगा
इश्क है गम भी है दर्द है जख्म है मर्ज है कर्ज है राह मुश्किले काटे है रास्तो मे है रूकावटे दुश्मन करीब है मंज़िल भी दुर बस जिगर है हौंसले बुलंद है जितने का शौक है -Kazi Taufique
नफरत के बाजार मे कोई अमन ले आए अंधभक्तो की नजर ले आए ये कोई कठपुतली तो नही है जिधर बोलो मुडजाए ये उससे आगे है जंहा बोलो वंहा मर जाए और जिंदगी को छोडकर यु ख्वाबो मे जीना अच्छी बात तो नही कोई इन बेकारो को भी जगाए अंधो के शहर मे कीसी ने महल को तोडकर खंडहर को भी इनहे जन्नत बताया है कोई इन्हे हकीकत भी बताए ये अपने ही है बस गलत स्कूल से कोई इन्हे भी घर वापस ले आए
कोई कहा अपना है यहा हम तो मुसाफिर है इस दुनिया मे वो खालिक वो मालिक ही तो अपना है इस दुनिया मे उस दुनिया मे
मै नीम के मानिद ही हो गया हु लोग इस्तेमाल कर के भी भुरा कहते है Mai nim ke manid hi hogaya hun log istemal kar ke bhi bura kahete hai
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