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Kazi Taufique

Kazi Taufique

@kazitaufique9222


हम बादशाह है मगर
लिबासे सुल्तानी मे नही है
चमकते हुए तारे है
मगर आसमान मे नही है
इल्म का खजाना है बस
किताबो मे नही है
रोशन है जमाना हम से
मगर हम चरागो मे नही है
ज़माने भर मे है दुश्मन हमारे
हम किसी से दुश्मनी मे नही है



-Kazi Taufique

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Hame yad rakho ya bhul jao
tumhari marzi
Lekin ham vo khayal hai jo nikale se rahe
Rhoshni se pareshan ho to andhera kardo
tumhari marzi
ham vo chrag hai jo sino me jala karte hai

हमसफ़र किताब

किताबो बस किताबे ना समझो
ये हमसफ़र है जिंदगी की

अदबो तरीका नजाकत सलीक़ा इस मे लिखा है
पढ़ोगे तो जीने तरीक़ा लिखा है

फन और हुनर के किस्से लिखे
बुजुर्गो ने इस मे तजुर्बे लिखे है

मुहब्बत के फसाने लिखे है
जंग के जिंदा नजारे लिखे है

दौलत के वजीफे लिखे है
ढेरो से नुस्खे लिखे है

और थामलो किताबे मुकद्दस को
तो दुनिया क्या आखिरत भी तुम्हारी है

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जुल्म के तरफदार
बंद कर लो आँखे जो जुल्म के तरफदार हो तुम
झुका लो गर्दन जो इतने लाचार हो तुम

तडप तडप कर मर वो जाएंगा देखना तुम
जालिम भी जाएंगा देखना जो जुल्म के
तरफदार हो तुम

रोक नही सकते जो जुल्म को देखकर
तो जालिम के साथ हो
जीतना के वो तुम भी गुनाहगार

जो तमाशबीन हो अंधे गुंगो की फौज मे
तो जुल्म के तरफदार हो तुम

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जिन्दगी जीना अब मजबूरी नही रही
जब से मिले हो जिन्दगी से मुहब्बत हो गई

जब से सुरत को देखा है यार की
ना जाने चांद भी अच्छा लगने लगा है

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तोडकर के कितने बार तोडोंगे
मै वो पेड हु जो फिर उग ही आऊंगा
खत्म करोगे कितने बार
मै समंदर हु फिर भर ही आऊंगा
हवा की आड कबतक बुझाऔंगे
मै बस चिराग नही हु जो बुझ ही जाऊंगा

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इश्क है गम भी है
दर्द है जख्म है
मर्ज है कर्ज है
राह मुश्किले
काटे है रास्तो मे
है रूकावटे
दुश्मन करीब है
मंज़िल भी दुर
बस
जिगर है
हौंसले बुलंद है
जितने का शौक है

-Kazi Taufique

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नफरत के बाजार मे कोई अमन ले आए
अंधभक्तो की नजर ले आए

ये कोई कठपुतली तो नही है जिधर बोलो मुडजाए
ये उससे आगे है जंहा बोलो वंहा मर जाए

और जिंदगी को छोडकर यु ख्वाबो मे जीना
अच्छी बात तो नही
कोई इन बेकारो को भी जगाए

अंधो के शहर मे कीसी ने महल को तोडकर
खंडहर को भी इनहे जन्नत बताया है
कोई इन्हे हकीकत भी बताए

ये अपने ही है बस गलत स्कूल से
कोई इन्हे भी घर वापस ले आए

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कोई कहा अपना है यहा
हम तो मुसाफिर है इस दुनिया मे

वो खालिक वो मालिक ही तो अपना है
इस दुनिया मे उस दुनिया मे

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मै नीम के मानिद ही हो गया हु
लोग इस्तेमाल कर के भी भुरा कहते है


Mai nim ke manid hi hogaya hun
log istemal kar ke bhi bura kahete hai