तेरा दर लगे प्यारा ---
निराश हो जाता जीवन में चहुँ ओर आंधेरों में खो जाता।
कुछ भी नहीं भाता कुछ भी नहीं प्रिय प्यारा!
तेरा दर मुझे लगे प्यारा।!
तेरे दर पे शीश झुकता जान लेती स्वयं ही मेरे जीवन के दुख दर्द हर लेती दुःख पीड़ा मिटा देती जीवन का तमसो माँ ज्योतिर्मय जीवन हो जाता!!
तेरा दर मुझे लगे प्यारा!!
आशाओं का आकाश आस्था वास्तविकता विश्वाश की विराटता।
तेरी ममता का आँचल का दुलारा
तेरा दर मुझे लगे प्यारा।!!
करुणा की सागर क्षामां की छितिज!
जाने अनजाने में अपराध भी कुछ हो जाता।
अबोध बालक को नई बोध चेतना का तेरा प्रसाद का न्यारा।
तेरा दर मुझे लगे प्यारा।!
तेरा दर युग सृष्टि दृष्टि मर्म मर्यादा का द्वार।
अन्यायी अत्याचार का संघार।
दीन दुखियों की पुकार शब्द स्वर आवाज शेर पर सवार।
युग निर्माता, तेरा दर मुझे लगे प्यारा।
तेरे रूप हज़ार नौ रूप खास
पहाड़ावाली जोता वाली चंड मुंड संघारी।
रक्तबीज नासिनी महिसासुर मर्दनी पाप नासिनी मोक्ष दायनी।
महिमा तेरी अपरम्पार।!
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश!!