सफ़र में चलो तो सफ़र भी कुछ कहते हैं।
नादानी मत किया करो सफ़र में,
सफ़र में हर तरफ मौत की खाई है।
तुम नादान हो, इसीलिए बतलाता हूँ —
सफ़र तो हर एक जीवन में है।
सफ़र ही जीवन का अलंकार है।
जिसके जीवन में सफ़र नहीं,
उसका जीवन सरोवर बन जाता है।
सफ़र में तुम चलोगे, मगर
गमन होते हुए वृक्ष नज़र आएँगे।
थम सा तुम रहोगे, धरती गमन करेगी।
सफ़र में तुम्हारे हर एक मोड़ आएँगे,
राह भी आने को आएँगी।
गमन कौन से राह पर करना है —
यह भी तुम्हें ही समझना होगा।
सफ़र में चलो तो सफ़र भी कुछ कहते हैं।