जज़्बातों के शहर में
मनाली की ठंडक में तेरा गर्म लम्हा मिल जाए,
इश्क़ की हर सर्दी फिर मौसम सा ढल जाए।
रोहतांग की बर्फ़ में जब तू मुस्काए,
हर फिज़ा तेरा नाम लेकर इतराए।
शिमला की घाटियाँ जब गवाह बनें हमारी बातों की,
तब चाय की चुस्की में मिठास हो तेरे जज़्बातों की।
तेरा हाथ थाम लूं कुल्लू की इन पगडंडियों में,
हर मोड़ पर तेरा नाम लिखूं इन वादियों में।
सिहोल की बर्फ़ जब तेरी हँसी से पिघले,
तो समझ लेना दिल अब तेरे लिए ही तरसे।
जब चाँदनी रातों में तेरा सिर मेरे कंधे पर हो,
तो खुदा भी ठहर जाए कहे – यही तो इश्क़ का मंज़र हो।
बस तू साथ हो, और ये पहाड़ गवाह बन जाएं,
मेरे हर सफ़र की शुरुआत तुझसे और अंजाम तुझमें समा जाए।