हास्य - बाय-बाय कर रहा हूँ
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आज वास्तव में मैं दुखी हूँ,
क्यों दुखी हूँ, ये भी खुद ही बता रहा हूँ,
आपके लिए भले इसका कोई मतलब न हो
पर मेरी तो साँसें उखड़ रही हैं।
हो भी क्यों न? होना भी चाहिए
क्योंकि आज पहली बार मित्र यमराज ने
मेरे संदेश का कोई जवाब नहीं दिया,
कहीं वो नाराज़ तो नहीं हो गया
किसी मुश्किल में तो नहीं फँस गया,
या फिर ऐसा तो नहीं कि कोरोना की चपेट में आ गया,
और घर में ही क्वारंटाइन हो गया।
आखिर मुझे इतना डर क्यों लग रहा है?
और आप लोगों को मजाक सूझ रहा है
जो मेरी समस्या समझ नहीं पा रहे हैं
बेवजह खींसे निपोर रहे हैं,
यकीनन आप मेरे शुभचिंतक नहीं रह गये हैं।
शायद यमराज से ईर्ष्या कर रहे हैं
वो मेरा मित्र हैं, बस इसी से जल-भुन रहे हैं,
पर जान लीजिए! ये अच्छा नहीं कर रहे हैं।
आप क्या सोचते हैं कि वो हमसे रुठ जायेगा?
हमसे मित्रता तोड़कर खुश हो जाएगा?
तो यकीनन आप सब बड़े मुगालते में हैं,
या हम दोनों के मित्रता सूत्र को जानते ही नहीं हैं।
सच है कि मैं उसको लेकर परेशान हूँ
और वो बड़ा मजे में है, तो ऐसा भी बिल्कुल नहीं है।
मुझे पता है कि वो भी हैरान परेशान हो रहा होगा
मेरा मन आप सबसे बात करते हुए मुझे संकेत दे रहा है
कि वो अभी मुझसे मिलने आ रहा है,
और लीजिए! वो दरवाजे पर आ भी गया है।
अब मैं आप लोगों से विदा ले रहा हूँ,
तत्काल अपने प्यारे मित्र के स्वागत में जा रहा हूँ।
आप सबका बहुत आभार, धन्यवाद कर रहा हूँ,
चाय पीना हो तो आप भी आ जाइए, बिल्कुल न शर्माइए
मित्र यमराज के साथ आपका इंतजार करुँगा,
नहीं आना चाहते तो भी कोई बात नहीं
फिलहाल तो मैं आप सबको बाय - बाय कर रहा हूँ।
सुधीर श्रीवास्तव ( यमराज मित्र)