हास्य - पढ़ा लिखा बेवकूफ हूँ
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आप मानते हैं कि मैं बेवकूफ हूँ
अच्छा है, पर आपकी सोच का दायरा कितना छोटा है
कम से कम मेरी योग्यता भी तो देख लेते
और बेवकूफ होने का तमगा तो सम्मान से देते।
मैं तो खुद ही कहता हूँ कि मैं बेबकूफ हूँ
पर आपको जो नहीं पता तो मैं खुद बता देता हूँ
कि मैं ऐसा - वैसा नहीं,पढ़ा लिखा बेवकूफ हूँ।
मेरा भी एक अपना एक स्थापित स्तर है
आम बेवकूफों की श्रेणी में मुझे बिल्कुल मत रखिए। वरना मुसीबत में फँस जायेंगे
मेरा अपमान करने-कराने के बदले
कोर्ट कचेहरी के चक्कर लगाते रहे जायेंगे ,
फिर आप हमको ही जी भरकर गरियायेंगें
जिसे हम बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर पायेंगे,
फिर किसी को आपके नाम की सुपारी
ईमानदारी से देने को विवश हो जायेंगे,
फिर आप ही नहीं आपके अपने भी आपको धिक्कारेंगे
आपका जीना हराम कर देंगे
बार-बार यही उलाहना देंगे।
क्या जरूरत थी किसी बेवकूफ को बेवकूफ कहने की
कहना ही था तो कम से कम उसका स्तर तो जान लेते
थोड़ा बहुत छानबीन भी कर लेते।
फिर तो आप खुद ही बेवकूफ बन जाएंगे
अपनी बेवकूफी किसी को बता भी नहीं पाएंगे,
और हम जैसे बेवकूफों को
बेवकूफ कहने से पहले अपने कान पकड़ेंगे
और ऐसी भूल करने से पहले सौ बार सोचेंगे।
सुधीर श्रीवास्तव (यमराज मित्र