"मातृ दिवस" की हार्दिक शुभकामनाएं सभी माताओं को...!
झुर्रियों में छुपे हुए हैं कितने राज,
हर रेखा कह रही त्याग की आवाज़।
अपनी नींदें बेच, हमारे सपने सींचे,
माँ ने हर दर्द को मुस्कुरा कर खिंचे।
छप्पर टपकता रहा रात-भर,
पर वो छांव बनी रही हर पहर।
चूल्हे की रोटी में प्यार था लिपटा,
उस धुएँ में माँ का जीवन सिमटा।
कभी फटी साड़ी, कभी टूटी चप्पल,
माँ ने अपनी ख्वाहिशें रख दीं किनारे पर।
खुद आधेपेट सोई कई रातें,
ताकि हम भरपेट कर सके सौ बातें।
हमें पढ़ाया, खुद कम पढ़ी या अनपढ़ रही,
हमारे कल के लिए अपना आज छोड़े चली।
उसके आँचल में दुनिया बसी है,
पर उसकी अपनी दुनिया कहाँ किसी ने जानी है?
माँ सिर्फ जननी नहीं, एक तपस्विनी है।
जिसका हर त्याग हमें इंसान बनाता है।
Tripti Singh.....