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हे नारी!
तू काली है, तू दुर्गा है।
तू नारायणी, जगदम्बा है।।
एक नन्हा सा राही, जीवन पथ पर,
जब अपना कदम बढ़ाता है।
हे नारी! तेरी मातृत्व का अमृत,
उसके देह का रक्त बन जाता हैं।
हे नारी!
इस पूरी सृष्टि के मानव,
तेरी ही आंचल में जीवन पाता हैं।
और फिर तेरा ही जीवन,
मुश्किल कर देता है।
हे नारी !
तू इतनी पावन है,
जैसे कृष्णा की मुरली ।
हे नारी !
तू अबला नहीं सबला है
जैसे झांसी की रानी ।
हे नारी!
तू काली है, तू दुर्गा है।
तू नारायणी, जगदम्बा है।।
हे नारी!
हर तिमिर बेला के अंजुलिका में,
तेरी आहट से दीपक जलता है।
हे नारी!
जिन्होंने तेरे हाथों में, सिर्फ कंगन ही देखाना चाहा है,
उन्हें अपने त्रिशूल धारिणी रूप से अवगत कर।
हे नारी!
तू काली है, तू दुर्गा है।
तू नारायणी, जगदम्बा है।
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