हे मां भारती हे मां शारदे।
जय जय हे मां सरस्वती हे मां भगवती
हे मां शारदे। कोटि-कोटि प्रणाम तेरे चरणों में
करते हैं हे मां शारदे।
धरती तुम्हें पुकारती जय जय हे मां भारती। हंस पर सवार होकर अब आओ धरा
पर हे मां भारती। तेरे नाम अनेकों विश्व संचालिनी कहलाती तुम हो हे मां सरस्वती
हे मां भगवती हे मां भारती। जय जय हे मां ज्ञान दायिनी हंस वाहिनी हे मां शारदे। वाहन तेरा हंस कमल फूल तेरा आसन हे मां हंसवाहिनी हे मां भारती हे मां शारदे। जय जय हे मां श्वेत कमल वासिनी वैकुंठ वासिनी
हे मां शारदे।
अखिल विश्व की एक छत्र स्वामिनी हे विद्या दायिनी हे मां विद्या रुपिणी हे मां शारदे।
तुम ही हो ज्ञान की दाता शब्दों की ज्ञाता
वेद पुराण विख्याता हे मां शारदे। जय जय हे मां ब्रह्मचारिणी वर दायिनी विमल मति दायिनी
हे मां शारदे। कुमति निवारिणी तुम हो हे अम्ब
जग जननी जगदम्ब जग अवलंब हे मां शारदे।
तेरे चरणों में जो आए वो विद्या से झोली भर
कर जाते हैं हे मां शारदे। हम तो तेरे द्वार के
हैं भिखारी शरण में आए हैं तुम्हारी। बसंत ऋतु
पर ऐसा ही हो बसंत जहां खुशियां हो अनंत।
पक्षियों के कलरव गूंजे कोकिल की कुहू कुहू दादुर पपीहे के स्वर मधु रस छलकाए सुदूर गगन उड़ते पंक्षी विहंगम् दृश्य झलकाए
उमंग और उल्लास से ध्वनित हो दिग दिगंत।
बसंत में बसंत का उपहार दे धरती हो शस्य श्यामला सर्वदा सुफला सुजला।
अविरल निर्मल रजत गंग धार बहे बसुंधरा
हो पल्लवित सुरभित सुमन चमन में।
बसंती फूलों की फूले फुलवारी हे मां भारती
तेरे वतन में। बसंती चोला पहने आजादी के दीवाने गाते रहें गीत मेरे भारत देश में।
जन जन जय घोष करें
तेरे महिमा गान के भारत देश में।
मति मति मति दे हे मां शारदे।
मति विभ्रम दूर हो हे मां शारदे।
जड़ बुद्धि को दूर करो हे मां शारदे।
बुद्धि को प्रखर बना दे हे मां शारदे।
हे बुद्धि की देवी बुद्धि का वरदान दो
हमें। तेरे चरणों में सेवा साधना करने
का अवसर दो हमें।
तेरी पूजा करें हे मां शारदे।
तेरे चरणों में शीश नवाएं हे मां शारदे।
फल फूल और प्रसाद चढ़ाएं हे मां शारदे।
धूप दीप और आरती करें हे मां शारदे।
तेरे चरणों में जयकारे लगाएं हे मां शारदे।
कोटि-कोटि प्रणाम करते हैं हे मां शारदे।
भूल चूक माफ करो हे मां शारदे।
जय जय हे मां शारदे।
- Anita Sinha