सिर्फ मैं ही क्यों???
मैं ही क्यों त्याग करूं तुम्हारे लिए !
तुम मेरे लिए त्याग नहीं कर सकते क्या ?
मैं ही क्यों इंतजार करूं तुम्हारा !
तुम मेरे लिए तड़प भी नहीं सकते क्या ?
मैं ही क्यों आंसू बहाऊ तुम्हारे लिए!
तुम मेरे लिए थोड़ा सा रो भी नही सकते क्या?
मैं ही क्यों समझूं तुम्हारी नाराज़गी को हर बार !
तुम मेरे दिल का हाल भी नहीं समझ सकते क्या?
मैं क्यों मांगू तुम से कुछ !
तुम खुद मुझे कुछ लाकर नहीं दे सकते क्या ?
मैं क्यों बताऊं तुम्हें अपनी पसंद-नापसंद !
तुम खुद पता नहीं लगा सकते क्या ?
मैं ही क्यों तुम्हें अपनी परेशानियां बताऊं!
तुम मुझसे अपना दुख नही बाँट सकते क्या?
मैं ही क्यों आऊँ तुमसे मिलने हर बार!
तुम मेरे घर की दहलीज़ पार भी नहीं कर सकते क्या?
मैं क्यों माँगू तुम्हें किसी इसे !
तुम मेरे घरवालों से मेरा हाथ भी नहीं माँग सकते क्या ?