कभी कभी हम कितने मजबूर हो जाते हैं हालातों के सामने और इन हालातों में कई बार अपनों पर ही शक करने लगते है किस्मत साथ देती है तभी उस गलतफहमी का सामना हो पाता है वरना हम उन झूठे मनगढ़ंत बातों को लेकर ही सामने वाले को जज करने लगते है किस्मत के ऊपर ये सब झोड़ना ही क्यूं या तो अपनों पर भरोसा करो या वक्त रहते अपनी गलतफहमी उनसे बात करके दूर कर लो | कई रिश्ते तो यूं ही कमजोर हो जाते है दोनों के एक दूसरे के लिए सही होने पर भी। ऐसा मत करो अपने चुनो तो बहुत सब्र से बहुत कद्र से और फिर उन पर भरोसा रखो या एक आजादी दो रिश्ते को