"सन्नाटा और सच्चाई"
मोब्बतियो का जुलूस निकाला ,
थंडे जिगर के मुर्दौ ने ,
मर्द कहे तो केसे ,
दरीन्दे जिस्म के भुके हे ,
खेर हमे क्या इल्म एस बात का ,
जब तक खुद्के बेहनो की ना सुनते चीखे है ...
उजाले के बाद आ रही हेवानियात की राते है ,
दिन मै छुपे दरीन्दे रातो मी मंडराते है ,
घासिटते हुये बेहन को मेरी ले गये ,
फटते कपडो के साथ अंधे कानून को झासा दे गये ....
गीधडो की जात है नोचने की आदत इन्हे ,
मुह को इनकी खून दिख रहा फिर भी सब खामोश है ,
चलो आओ मोब्बतियो जलाये ,
आखिर ए बुजदिलो का देश है .....!
- Uday Gaikwad