कल एक अजीब वाकया हुआ...बस से अपने सर्कल में जा रही थी गांव से कुछ ही दूर मेरे बगल वाली सीट पर बैठे आदमी ने अपनी जेब से दो बीड़ी निकली और बस से नीचे फेक दी।अगले ही पल उन्होंने माचिस की दो तीली भी बस से नीचे फेक दी।मैं ये सब बड़े ध्यान से देख रही थी।सामने देखा लोकदेवता मामा जी का थान था जो की हमारे पश्चिमी राजस्थान में हर गांव के बाहर मिल जाता है।तब जा कर समझ आया की उस आदमी ने मामा जी के सामने बीड़ी फेंकी थी। मुझे बड़ा अचरज हुआ।हम लोग खुद अपनी आस्था का मजाक बनाए बैठे है।भगवान को भोग लगाया जाता है उनके सामने कोई वस्तु फेंकी नही जाती।वो दाता है ग्राही नहीं।उनको अर्पण किया जाता है फेकना तो काफी अजीब चीज हो जाती है। एक पल को ऐसे लगा जैसे कह रहा हो की ले भाई बीड़ी पी ले। ऐसे मत किया करो यार...भगवान बस आस्था के भूखे होते है चढ़ावे के नही । उन्हें प्रेम,करुणा,संवेदना और हृदय से ही प्रसन्न किया जा सकता है चढ़ावा तो मात्र हमारा वहम है जिन्हें हम फेंक कर अपने कर्तव्य से मुंह मोड़ देते है
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