मां सरस्वती वंदना
भावों की अधिष्ठात्री देवी तुम हो हे मां शारदे। कोटि कोटि प्रणाम करते हैं हे मां शारदे। जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे।
भावों का वरदान दो हे मां शारदे। भावों का वरदान देकर लेखन को अविरल धार दो
हे मां सरस्वती हे मां शारदे।
जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे।
भावों का उद्गार दे हे मां शारदे।
भावों का सागर तुम हो हे मां शारदे।
भावों से लेखनी को भर दे हे मां शारदे।
भावों की जननी तुम हो हे मां शारदे।
जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे।
भावों की गंगा बहा दे हे मां शारदे।
भावों की अभिव्यक्ति दे हे मां शारदे।
भावों से तेरी पूजा करें हे मां शारदे।
भावों के चंदन लगाएं तुम्हें हे मां शारदे।
जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे।
भावों में बसो हे मां शारदे।
भावों के पुष्प हार पहनाएं तुम्हें हे मां शारदे। भावों के पुष्प अर्पित करें हे मां शारदे। भावों के पुष्प से तेरी वंदना करें हे मां शारदे।
जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे।
तेरे चरणों में शीश नवाएं हे मां शारदे।
तेरे चरणों में जयकारे लगाएं हे मां शारदे।
तेरे चरणों की दासी बन जाएं हे मां शारदे।
तेरे चरणों की धूल जो मिल जाए तो जीवन धन्य हो जाए हे मां शारदे।
फल फूल और प्रसाद चढ़ाएं हे मां शारदे।
धूप दीप और नैवेद्य अर्पित करें हे मां शारदे।
तेरी आरती करें हे मां शारदे।
भूल चूक माफ करो हे मां शारदे।
तेरे चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम हे मां शारदे।
अकिंचन दासी करे वंदन पूजन प्रेम सहित भाव भक्ति मन में लाय । अरदास दास की स्वीकार कर हे मां शारदे हाथ पकड़ कर दे लेख लिखाय। कि तुम बिन ना चले
लेखनी हे मां शारदे। दास पड़ा है तेरे चरणों में बरबस शीश नवाय। आस भरोसा तेरा
है तू ही लेखनी को आशीर्वाद देकर निर्झरणी दे बनाय। तुम बिन मेरा कहीं ठौर
नहीं हे मां शारदे। दे ठोस ठौर और ठिकाना
तेरे चरणों में कि बस पकडत लेखनी लेखन
की गति बाधित खत्म हो जाए। कर कृपा हे मातु शारदे लेखन में सक्रिय रहें तेरे चरणों में
रहे यही प्रार्थना है बारंबार। दास की अनुनय-विनय को हे मां शारदे कर स्वीकार।
दंडवत प्रणाम करते हैं हे मां शारदे।
जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे।
- Anita Sinha