अब तन्हा रहना अच्छा लगता है।
दिन हो या रात हो
अब तन्हा रहना अच्छा लगता है।
किसी की याद आएं नहीं
अब तन्हा रहना अच्छा लगता है।
सुकून है अब हर पल
क्योंकि अब तन्हा रहना अच्छा लगता है।
प्यार के लिए अब किसी का इन्तजार नहीं
अब तन्हा रहना अच्छा लगता है।
ख्वाहिशों का बोझ भी नहीं
अब तन्हा रहना अच्छा लगता है।
कोई गिला नहीं किसी से शिकायत नहीं
अब तन्हा रहना अच्छा लगता है।
बस अब बहुत हुआ दूसरों के लिए जीना
अब तन्हा रहना अच्छा लगता है।
कोई वादा नहीं कोई वफ़ा नहीं
अब तन्हा रहना अच्छा लगता है।
मुहब्बत की कोई गुंजाइश नहीं ना ही गुजारिश
अब तन्हा रहना अच्छा लगता है।
अब रोना भी आता है तो रोती नहीं
अब तन्हा रहना अच्छा लगता है।
बहुत गुस्से में भी आजकल काबू कर लेती हुं
अब तन्हा रहना अच्छा लगता है।
मुझे सबके बीच रहकर भी तनहा रहना अच्छा लगता है।
तन्हा, तन्हा, तन्हा।।।
रचना राय (लेखिका)