हिंदी अनुवाद की नहीं बल्कि संवाद की भाषा है किसी अन्य देश की भाषा के जैसे ही मौलिक सोच की भाषा है
हिंदी वह धागा है जो गुलिस्तां के फूलों को एक माला में पिरोने की क्षमता रखती है हमारे देश विविधता में एकता वाला देश है जिसमे हर प्रांत में अपनी बोली अपनी भाषा का रंग देखने को मिलता है
हिंदी सिर्फ भाषा ही नहीं बल्कि हमारे संस्कृति और संस्कारो की परिचायक भी है